Tuesday, November 25, 2008

रामायण

रामायण कवि बाल्मीकि ने लिखी थी, जिसमें रधुवंश के राजा रामचन्द्र जी की गाथा कही गई है, जो संस्कृत में लिखा गया था। देश में विदेशियों की सत्ता हो जाने के बाद भारतीय लोग उचित ज्ञान के अभाव तथा विदेशी सत्ता के प्रभाव के कारण अपनी ही संस्कृति को भूलने लग गये । ऐसी स्थिति में जन जागरण के लिए महाज्ञानी सन्त तुलसीदास जी ने श्री राम की पवित्र कथा को देसी भाषा में लिखा। सन्त तुलसीदास जी ने अपने लिखे गंथ्र का नाम रामचरितमानस रखा। रामचरितमानस को तुलसीरामायण के नाम से जाना जाता है। इस के बाद कई लेखकों ने अपनी अपनी बुद्धि, और ज्ञान के अनुसार रामायण को अनेक बार लिखा है। इस तरह से अनेक रामायणें लिखी गई।
रामायण के सारे चरित्र अपने धर्म का पालन करते हैं।
• राम एक आदर्श पुत्र हैं। पिता की आज्ञा का पालन करते हैं।
• सीता पतिव्रता महान औरत है। वह सारे सुख छोड़ कर पति के साथ वन चली जाती है।
• रामायण भाई प्रेम का भी उदाहरण है। जैसे बड़े भाई के कारण लक्ष्मण उन के साथ वन चले जाते हैं वहीं भरत अयोध्या की राजगद्दी पर खुद न बैठ कर राम की चरण पादुका को गद्दी पर रख देते हैं।
• कौशल्या एक आदर्श माता है। अपने पुत्र राम पर कैकेयी के अन्याय को भुला कर उस के पुत्र भरत पर उतनी ही ममता रखती है जितनी कि अपने पुत्र राम पर।
• हनुमान एक आदर्श भक्त हैं। वे राम की सेवा के लिये सदा तैयार रहते हैं।
• रावण के चरित्र से सीख मिलती है कि अहंकार नाश का कारण होता है।
रामायण के चरित्रों से मनुष्य को बहुत सी अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं।

1 comment:

Udan Tashtari said...

सही है-अच्छा आलेख.